Facts About mahavidya baglamukhi Revealed

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ज्वल ज्ज्योत्स्ना रत्नाकर मणि विषक्तांघ्रि भवनं स्मरामस्तेधाम स्मरहर हरींद्रेंदु प्रमुखैः । अहोरात्रं प्रातः प्रणय नवनीयं सुविशदं परं पीताकारं परचित मणिद्वीप वसनम् ।।

The Bible states that important floods once wrecked the World. The destiny of all creatures and The whole thing of generation was in jeopardy. The gods then requested Lord Shiva for support. The god asserted that only Goddess Shakti can tame a storm.

ॐ अग्निनैरृतिवायव्येशान्यादिदिशे नमः।

साधना करने के लिए “सिद्ध बगलामुखी यन्त्र” और “पीली हकीक” माला या “हल्दी माला” की आवश्यकता होती है।

She being the form of Mom Almighty or even the Supreme Goddess Durga, bestows Her extremely effective & protective blessings on Her devotees and brings them outside of all troubles Irrespective of how hard or mountainous they seem like.

In her 4-arm sort, she seems intense along with her 3rd eye, in which she incorporates a bowl of demon blood plus a sword. Her crown is ornamented which has a crescent moon and two golden cranes.

पीतध्यान परोभक्तो यः श्रृणोत्य विकल्पतः । निष् कल्मषो भवेत् मर्त्यो मृतो मोक्षमवाप्नुयात् ।।

तव चरण सरोजं सर्वदा सेव्यमानं द्रुहिण हरि हराद्यैः देवबृंदैः शरण्यं । मृदुमपि शरणं ते शर्मदं सूरिसेव्यं वयमिह करवामो मातरेतद् विधेयम् ।।

Guarantee him that you by no means hassle him, submit to him with utmost devotion on him and eventually endeavor to be enlightened.

She is claimed to generally be residing in the upper palate of human entire body, exactly where cerebrospinal fluid mahavidya baglamukhi enters throat within the skull. This fluid is called amṛta in kuṇḍalinī meditation. When she is meditated upon, she guards the aspirant. She is likewise described as the commander of the military of Parāśakti, as Bagalāmukhī was developed by Parāśakti, only to damage that terrific storm.

She may be the Tremendous ability who will damage all evil powers. Devi Baglamukhi presents a person the facility To place a bridle (control) on his enemies. She blesses one with the power of confident and decisive speech.

सौवर्णासनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लासिनीं हेमाभाङ्गरुचिं शशाङ्कमुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम् ।

भारतीय तन्त्र-मन्त्र साहित्य अपने आप में अद्भुत, आश्चर्यजनक एवं रहस्यमय रहा है। ज्यों-ज्यों हम इसके रहस्य के मूल में जाते हैं, त्यों-त्यों हमें विलक्षण अनुभव होते हैं। इस साहित्य में कुछ तन्त्र-मन्त्र तो इतने समर्थ, बलशाली एवं शीघ्र फलदायी हैं कि चकित रह जाना पड़ता है। ऐसे ही यंत्रों में एक यन्त्र है- बगलामुखी यन्त्र जो किसी भी प्रचंड तूफ़ान से भी टक्कर लेने में समर्थ है। शत्रुओं पर हावी होने, बलवान शत्रुओं का मान-मर्दन करने, भूतप्रेतादि को दूर करने, हारते हुए मुक़दमों में सफलता पाने एवं समस्त प्रकार से उन्नति करने में बगलामुखी यन्त्र श्रेष्ठतम माना जाता है। जिसके पास यह यन्त्र होता है उस पर किया गया तान्त्रिक प्रभाव निष्फल रहता है।

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